Advertisement

अखंड भारत पर राज करने वाले राष्ट्रीय समाज के सम्राट अशोक की जयंती क्यों नहीं…

*राष्ट्रीय समाज के सम्राट का राज चिन्ह “अशोक चक्र” भारतीय ध्वज में भी लगते हैं। सम्राट का राज चिन्ह “चारमुखी शेर” को भारतीय राष्ट्रीय प्रतीक मानकर सरकार चलाते हैं और इसी के अंतर्गत “सत्यमेव जयते” को अपनाया गया है। राष्ट्रीय पशु , राष्ट्रीय जानवर राष्ट्रीय पुष्प और भी बहुत सारी खूबियां इसी राष्ट्रीय समाज के सम्राट ने दी हैं। सम्राट की सभी वस्तुएं आज राष्ट्रीय धरोहर है तो सम्राट का समाज ही राष्ट्रीय समाज है* हम सब जानते हैं कि देश में सेना का सबसे बड़ा युद्ध सम्मान राष्ट्रीय समाज के सम्राट अशोक के नाम पर ही “अशोक चक्र” दिया जाता है। इनसे पहले या बाद में कभी कोई ऐसा राजा या सम्राट नहीं हुआ, जिसने अखंड भारत (आज का नेपाल, बांग्लादेश, पूरा भारत, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान) में जितने बड़े भूभाग पर एक-छत्र राज किया हो। यानि इन्होंने ही अखंड भारत में राज किया। यह बहुत बड़े गौरव का विषय है। बहुत कम लोगों को पता होगा कि *राष्ट्रीय समाज के सम्राट अशोक के ही समय में 23 नामी विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई थी, जिसमें तक्षशिला, नालन्दा, विक्रमशिला, कंधार जैसे विश्वविद्यालय मुख्य रूप से शामिल थे। ये विश्वविद्यालय इतने प्रख्यात हुए कि इन्हीं में विदेश से छात्र उच्च शिक्षा पाने भारत आया करते थे।* इनकी अन्य विशेषताओं की बात करें तो ये वही राष्ट्रीय समाज के सम्राट हैं, जिनके शासनकाल को *विश्व के बुद्धिजीवी और इतिहासकार भारतीय इतिहास का सबसे स्वर्णिम काल मानते हैं। इन्हीं राष्ट्रीय समाज के सम्राट के शासन काल में भारत विश्व गुरु था, सोने की चिड़िया था,* जनता खुशहाल और भेदभाव-रहित थी। आज यही कल्पना की जाती है कि भारत दोबारा कब सोने की चिड़िया बनेगी ? राष्ट्रीय समाज के सम्राट अशोक के शासनकाल में बेहतर रोड ढांचे पर भी खूब ध्यान दिया गया। बता दें कि *इन्हीं के शासनकाल में सबसे प्रख्यात महामार्ग “ग्रेड ट्रंक रोड” जैसे कई हाईवे बने, 2,000 किलोमीटर लंबी पूरी सड़क पर दोनों ओर पेड़ लगाये गए, सरायें बनायीं गईं, मानव तो मानव, पशुओं के लिए भी प्रथम बार चिकित्सा घर (हॉस्पिटल) खोले गए, पशुओं को मारना बंद करा दिया गया*।राष्ट्रीय समाज के सम्राट अशोक का जन्म वर्षं 302 ई. पूर्व में हुआ था और इनका राजतिलक 268 ई. पूर्व में और निधन 232 ई. पू में हुआ था। ये *राष्ट्रीय समाज के महान सम्राट चंद्रगुप्त के नाती थे जिनकी मूर्ति आज भी भारत के संसद के प्रवेशद्वार पर लगी* है ।इनके पिताजी का नाम बिन्दुसार और माता का नाम सुभद्राणी था। इनकी और भी कई विराट कहानियां इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं। ऐसे में, सवाल उठता है कि जब आज देश में शख्सियतों का जन्मदिन मनाने का चलन है तो फिर ऐसे राष्ट्रीय समाज के महान सम्राट अशोक की जयंती भी मनाई जानी चाहिए, बल्कि पूरे भारत के सिरमौर रहे हैं। इस पर आश्चर्य होता है कि अखंड भारत पर राज करने वाले राष्ट्रीय समाज के सम्राट अशोक की भारत में जयंती नहीं मनाई जाती है इसका असर यह होता है कि लोग इतिहास को भूलने लगते हैं, इसीलिए *हर किसी को अपने संस्थान में हर साल 9 अप्रैल को राष्ट्रीय समाज के सम्राट अशोक की जयंती मनानी चाहिए।*
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Post a Comment

0 Comments